यह अजब रचा, यह गजब रचा

यह अजब रचा, यह गजब रचा
तुने क्योँ संशार रचा.
अमीर रचा, गरीब रचा
और अनेकों चीज रचा.
पर हम लोगों के भाग्य में क्योँ
दुखों क़ पहार रचा.
यह अजब रचा, यह गजब रचा
तुने क्योँ संशार रचा.

हमने देखा भीर भार मैं,
अमीर गरीब सब एक समान,
पर घर आकर हमने देखा.
हो गए वो दो इंसान.
चैन से फिर बैठ गए वो,
एक दूजे से हो अंजान.
हमने उनके घरों में देखा है,
कोलाहलों क़ शोर मचा.
यह अजब रचा, यह गजब रचा
तुने यह संशार रचा.

तुने जो रचा , सब ठीक रचा,
पर हमने ही अशांति रचा.
में सोच सोच पागल बना,
तुम दोगे हमें इसकी क्या सजा,
यह अजब रचा यह गजब रचा,
तुने सही संशार रचा.